लंबी अवधि में इक्विटी से आधा रिटर्न
पिछले 10 साल में गोल्ड ने औसतन केवल 8 प्रतिशत का ही रिटर्न दिया है, जबकि इस दौरान सेंसेक्स का औसत सालाना रिटर्न करीब 15 प्रतिशत रहा। मिडकैप और स्मॉलकैप का रिटर्न तो सालाना 18 प्रतिशत के करीब रहा। वैल्यू रिसर्च के सीईओ पंकज नाकाड़े का कहना है कि भले ही सोने का शॉर्ट टर्म रिटर्न अच्छा लग सकता है, लेकिन लंबे समय में इसने सालाना 7-8 फीसदी यानी इक्विटी से आधा ही रिटर्न दिया है। पंकज नाकाड़े सोने को एक ऐसा निवेश मानते हैं जो लंबे समय में ज्यादा फायदा नहीं देता। क्योंकि सोना खुद कोई चीज पैदा नहीं करता है, इसकी कीमत सिर्फ मार्केट डिमांड पर निर्भर करती है। गोल्ड के लिए पॉजिटिव फैक्टर्स
- जियो-पॉलिटिकल टेंशन बना हुआ है, यह अगर बढ़ा तो गोल्ड की कीमतें बढ़ेगी।
- सेंट्रल बैंकों की ओर से गोल्ड में अच्छी डिमांड है, चीन और भारत में निवेश के लिए लोग अधिक सोना खरीद रहे।
- शेयर बाजार का वैल्यूएशन काफी ऊंचा है, जिससे बाजार में करेक्शन आने की आशंका है, इससे गोल्ड को सपोर्ट मिल सकता है।
गोल्ड के लिए निगेटिव फैक्टर्स
- डॉलर इंडेक्स फिलहाल स्थिर बना हुआ है, लेकिन ब्याज दरों मे कटौती होने में देरी से डॉलर के मजबूत होने के आसार हैं।
- ब्याज दरें स्थिर रहने से अमरीकी बॉन्ड यील्ड में इजाफा हो रहा है, पश्चिम एशिया में तनाव घटने की उम्मीद है, जिससे कीमतों में गिरावट आ सकती है।
- रेकॉर्ड ऊंचाई पर कीमतें पहुंचने से मुनाफावसूली की संभावना
क्या करें निवेशक
- जो निवेशक अपने पोर्टफोलियो में सोना शामिल करना चाहते हैं, वे सोने के गहनों या बिस्कुटों की जगह सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड (एसजीबी) में निवेश करें।
- एसजीबी और सोने के गहनों की कीमतें एकसाथ ऊपर नीचे होती हैं, लेकिन एसजीबी पर आपको हर साल 2.5 प्रतिशत का अतिरिक्त ब्याज भी मिलता है।
- अगर आप एसजीबी को मैच्योरिटी तक होल्ड करते हैं, तो आपको मिलने वाले लाभ पर कोई टैक्स नहीं देना पड़ता है।
- निवेशक अपने पोर्टफोलियो का 10 फीसदी गोल्ड और सिल्वर ईटीएफ में निवेश कर सकते हैं। हालांकि, इन फंडों से हर साल हाई रिटर्न की उम्मीद न करें।
- इनका असली फायदा यह है कि ये पोर्टफोलियो में विविधता लाते हैं और मार्केट के उतार-चढ़ाव के दौरान स्थिरता प्रदान करते हैं।