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क्या है WhatsApp की End-to-End Encryption पॉलिसी, जिसके लिए कंपनी भारत छोड़ने को तैयार

End-to-End Encryption Policy: वॉट्सऐप ने 2021 में देश में लाए गए इंफोर्मेशन टेक्नोलॉजी (IT) नियमों को दिल्ली हाईकोर्ट में चुनौती दी है, जिसके बाद ही WhatsApp का कड़ा रुख देखने को मिला।

नई दिल्लीApr 27, 2024 / 07:34 am

Akash Sharma

What is WhatsApp End-to-End Encryption policy
WhatsApp End-to-End Encryption: भारत में एक बड़ी तादाद वॉट्सऐप (WhatsApp) चलाने वाले लोगों की है। इस ऐप ने लोगों के दिलों में खास जगह बना रखी है। वॉट्सऐप में मैसेज एंड-टू-एंड एन्क्रिप्टेड होते हैं। इसका मतलब होता है कि भेजे गए मैसेज की जानकारी सिर्फ भेजने वाले और उसे पाने वाले के पास होती है। कोई थर्ड पार्टी इन मैसेज को नहीं देख सकती है। अब WhatsApp का कहना है कि अगर उसे एन्क्रिप्शन तोड़ने के लिए मजबूर किया जाता है, तो वह भारत में अपना काम बंद कर देगी। आइए जानते हैं एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन के बारे में-
 End-to-End Encryption क्या होता है

एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन (End-to-End Encryption) एक बड़ी सुरक्षा प्रणाली है, जो कि आपकी चैट (Chat) को सुरक्षित रखता है। आसान शब्दों में कहें तो End-to-End Encryption का सीधा मतलब है कि चैट पर भेजे जाने वाला मैसेज सिर्फ भेजने वाला और रिसीव करने वाला ही पढ़ सकता है। इसके अलावा उस मैसेज को खुद WhatsApp भी नहीं देख सकता। End-to-End Encryption में WhatsApp पर भेजे गए सभी फोटो (Photos), वीडियो (Videos), डॉक्यूमेंट और अन्य चीजें सेफ रहती हैं। 
दिल्ली High Court में दी चुनौती

WhatsApp और इसकी पैरेंट कंपनी मेटा (Meta) ने 2021 में देश में लाए गए इंफोर्मेशन टेक्नोलॉजी (IT) नियमों को दिल्ली हाईकोर्ट में चुनौती दी है। हाईकोर्ट में गुरुवार 25 अप्रैल को दोनों की याचिकाओं पर सुनवाई हुई। आईटी नियमों में कहा गया है कि सोशल मीडिया मैसेजिंग कंपनियों के लिए किसी चैट का पता लगाने और मैसेज को सबसे पहले क्रिएट करने वाले शख्स का पता लगाने के लिए प्रावधान करना जरूरी होगा। मेटा (Meta)  के स्वामित्व वाले मैसेजिंग प्लेटफॉर्म WhatsApp की तरफ से पेश वकील ने दिल्ली हाईकोर्ट में ये दलील रखी है। वकील ने कहा कि लोग WhatsApp का इस्तेमाल इसकी प्राइवेसी वाली खूबी के लिए करते हैं। वे जानते हैं कि इस पर भेजे जाने वाले मैसेज End-to-End Encryption होते हैं। 

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