50 साल के लिए दी जाएं खानें
राज्य सरकार आरएसएमएम को 50 साल के लिए बजरी की खानें आवंटित कर सकती है। आरएसएमएम ठेकेदारों से बजरी सीधे अपने डिपो स्टॉक पर ला सकेगी। इन डिपो पर स्टॉक की ऑनलाइन जानकारी दी जा सकती है। डिपो पर कोई भी व्यक्ति ऑनलाइन बजरी की खरीद कर सकेगा। यह प्रक्रिया पूरी ऑनलाइन होने से जनता को सुविधा होगी और बजरी की दर भी 200 रुपए टन से कम रह सकती है।ऐसे पड़ेगी सस्ती
सूत्रों के मुताबिक बजरी अभी नदी क्षेत्र में 750 से 800 रुपए टन तक है। बजरी आरएसएमएम को देने से 200 रुपए टन से भी कम पर मिल सकती है। वहीं सरकारी कंपनी से बजरी खरीदने से माप भी पूरी मिलेगा।जयपुर में बजरी 1700 रुपए टन तक
जयपुर में वर्ष 2012 तक बजरी 400 रुपए टन तक मिल रही थी, वर्ष 2012-13 में बजरी खानों की नीलामी करने के बाद ऐसी कालाबाजारी मची कि भाव 2000 रुपए टन को भी पार कर गए। विधानसभा में लगातार बजरी की गूंज रही, लेकिन जनता को राहत नहीं मिली। जयपुर में बजरी 1500 से 1700 रुपए टन तक मिल रही है, लेकिन सरकार क्षेत्र में खनन होने पर यह भाव 500 रुपए टन तक आ सकते हैं।बजरी खनन के पट्टों की वर्तमान स्थिति
- अभी खानें चालू 28
- खानों की अवधि खत्म 43
- निरस्त किए खनन पट्टे 20
- एनओसी नहीं मिलने वाले पट्टे 14
- कंसेन्ट लंबित खनन पट्टे 01
- कुल पट्टों की स्थिति- 106
सस्ती बजरी…कई राज्यों में चल रहा काम
- सस्ती बजरी के लिए कई राज्यों की सरकार ने रास्ते निकालने शुरू कर दिए हैं।
- आंध्र प्रदेश सरकार ने काफी पहले ही बालू निगम गठित कर अवैध बजरी खनन पर रोक लगाने और जनता को राहत देने के लिए काम करना शुरू कर दिया है। यह कंपनी बजरीकी कालाबाजारी, जमाखोरी रोकने के साथ ही लोगों को उचित दर बजरी देने का काम कर रही है।
- तेलंगाना सरकार भी सस्ती बजरी उपलब्ध कराने को लेकर नए विकल्पों पर चर्चा कर रही है। वहां की सरकार आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, कर्नाटक और देश के अन्य राज्यों की नीतियों का अध्ययन करा रही है।
- तमिलनाडु में रेत खनन संचालन के लिए नया विभाग बनाने को लेकर मंथन चल रहा है। वहां तो 4,730 करोड़ रुपए के अवैध खनन होने के आरोप लग चुके हैं।
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