अध्ययन में यह जाहिर किया गया है कि समुद्री हीटवेव (समुद्र के तापमान के असमान्य रूप से अधिक रहने की अवधि) के प्रतिवर्ष 20 दिन (1970-2000) से बढ़कर प्रतिवर्ष 220-250 दिन होने का अनुमान है। इससे उष्ण कटिबंधीय हिंद महासागर 21वीं सदी के अंत तक स्थायी ‘हीटवेव’ स्थिति के करीब पहुंच जाएगा। समुद्री हीटवेव के कारण मूंगों का रंग खत्म हो जाता है, समुद्री घास नष्ट हो जाती है और जलीय पारिस्थितिकी को नुकसान पहुंचता है। यह चक्रवात के कम अवधि में जोर पकड़ने की भी एक प्रमुख वजह है।
‘अध्ययन के अनुसार हिंद महासागर के जल का तेजी से गर्म होना सिर्फ इसके सतह तक सीमित नहीं है। हिंद महासागर में उष्मा की मात्रा सतह से 2,000 मीटर की गहराई तक वर्तमान में 4.5 जेटा जूल प्रति दशक की दर से बढ़ रही है। इसमें भविष्य में 16-22 जेटा-जूल प्रति दशक की दर से वृद्धि होने का अनुमान है। जलवायु वैज्ञानिक कोल का कहना है कि उष्मा की मात्रा में भविष्य में होने वाली वृद्धि एक परमाणु बम (हिरोशिमा में हुए) विस्फोट से उत्पन्न होने वाली ऊर्जा के समान होगा।